

Ajay Kumar Chaurasia (National President)
Welcome to Sanatan krishi Gausewa Trust
आज 2020 में जो कोरोना वैश्विक महामारी के कारण सम्पूर्ण मनुष्य प्रजाति जिस प्राणघातक संकट से गुज़र रही है । उसे प्रकृति की चेतावनी ही कहा जा सकता है | मानव जाति ने जिस प्रकार अपनी सुविधानुसार प्रकृति का दोहन और शोषण किया है, उससे प्रकृति रूष्ट हुई है । धरती पर मानव के सम्पूर्ण अधिपत्य की आकांक्षा ने मानव जाति को समूल नाश के अत्यंत निकट लाकर खड़ा कर दिया है । प्रकृति की संपदा को नष्ट कर हम मानव निर्मित उपकरणों और संसाधनों में जिस प्रकार स्वयं को सीमित करते चले गए हैं इससे प्रकृति के कोप का भाजन बनना पड़ रहा है । ये कोरोना महामारी प्रकृति के उसी कोप का एक नमूना मात्र है प्रकृति ने अपनी शक्ति से अवगत करवा दिया है। लेकिन कोरोना संकट के दौरान कुछ अच्छा भी हुआ | प्रकृति ने पुनः सनातन की ओर अग्रसर होने पर विवश कर दिया है । सनातन जीवन शैली में स्वच्छता और सामाजिक दूरी के पालन पर जिस तरह प्रकाश डाला गया था आज पुनः मानव जाति उन्ही नियमों का पालन विवशता पूर्वक कर रही है ।
काश हम अपनी पौराणिक सनातनी जीवन पद्धति का पालन सदैव नियमित रूप से करते तो आज ये दिन देखना नहीं पड़ता चन्द्रमा, वायु, भूमि, वृक्ष, जल नदी तालाब समुद्र पशु पक्षी आदि को देव रूप मैं सनातन धर्म में ही पूजे जाते है| पूजन से तात्पर्य श्रद्धा सुरक्षा सम्मान और संरक्षण से है । इन सभी का वैज्ञानिक सामाजिक पारिवारिक प्राकृतिक रूप से अद्भुत अलौकिक महत्व है । सनातन में कुछ भी तथ्यहीन नहीं है यही कारण है कि अनादिकाल से कई आक्रमणकारी विधर्मी विचारहीन विध्वंशकारी अतिक्रमण की मंशा से हिंदुस्तान में आये , उन्होंने हमारी संस्कृति सभ्यता और मान्यताओं पर कुठाराघात भी किया । साधु संतों धर्मगुरुओं की हत्याएं की , तलवार की नोंक पर धर्मांतरण हेतु सनातनियों को विवश किया पौराणिक ग्रंथों और पांडुलिपियों को जला दिया गया , असंख्य मंदिरों को धराशाई कर दिया। आयुर्वेद की गुणवत्ता एवम पौराणिक शल्य चिकित्सा विधि को अस्तित्वविहीन करने हेतु तक्षशिला नालंदा जैसे विश्व विद्यालयों और गुरुकुलों को नष्ट कर दिया गया । सम्पूर्ण आयुर्वेदिक उपचार पद्धति समाप्त करदी गयी । शहर कस्बों गली नुक्कड़ों का नामकरण विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर कर दिया गया । स्वार्थपरता और प्राणभय से सनातन धर्म चुपचाप चिरनिंद्रा में तटस्थ ही रहा| अगर 1000 वर्षो के बात करे हर संभव प्रयास किये गए सनातन धर्म को दुनिया से समाप्त करने के लिए लाखो वर्ष पुराने हमारे सनातन धर्म की जड़े इतनी मजबूत है किसी के द्वारा इसे समाप्त करना असंभव है |
सनातन कृषि गौशाला ट्रस्ट का उद्देश्य सनातन धर्म का प्रचार करना है, कृषि को बढ़ावा देना है और गरीब किसानो की हर संभव मदद करना तथा गऊ माता की सेवा करना है । सनातन कृषि गौरक्षा के पथ पर हम सभी ने प्रथम पग रख दिया है । अभी मीलों दूर जाना है । आप सभी सनातनी मित्रों का सहयोग रहा तो सनातन को पुनः अपने गौरव से सुशोभित करेंगे ।
जय हिंद
जय भारत
जय श्री राम

Dheeraj Pandit ( Film Director)
राष्ट्र निर्माण की ओर एक सार्थक कदम
वेदशाला का उद्देश्य क्या है ?
हम कोई कार्य करते हैं तो उसके पीछे कुछ न कुछ उद्देश्य अवश्य होता है | अपने मानसिक एवं बौद्धिक क्षमतानुसार अकारण निरर्थक हम कुछ नहीं करते हैं | वेदशाला का एक और उपनाम है वो है संस्कृत सनातन सेवा संस्थान | जैसा कि नाम से ही परिलक्षित है कि यह संस्थान संस्कृत और सनातन की सेवा हेतु आरम्भ किया जा रहा है | हमारा देश सदियों से सांस्कृतिक धार्मिक और आर्थिक दृष्टिकोण से संमृद्ध रहा है और इसी संमृद्धि ने कई विदेशी शक्तियों को भारत की ओर आकर्षित भी किया है | आरम्भ में कई विदेशियों की टोलियाँ यहाँ ब्यापारिक मंशा से आये परन्तु हमारी संमृद्धि ने उनकी लालसा को और बढ़ा दिया , तत्पश्चात उन्होंने यहाँ अपना अधिपत्य स्थापित करने की बारम्बार चेष्टा की | शक हुण मंगोल मुग़ल डच पुर्तगाली ब्रिटिश सब आये सबने बारी बारी से लूटा और कईयों ने तो राज भी किया | हज़ारों साल भारत लुटता रहा शोषित होता रहा गुलाम भी रहा परन्तु एक धरोहर थी जिसने हमारी मौलिकता को बनाये रक्खा और वो मौलिकता का आधार था हमारा आध्यात्म वेद पुराण श्रीभगवद्गीता उपनिषद रामायण महाभारत और असंख्य दोहे सोरठे चौपाई अलंकार हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता और सबसे प्रमुख हमारी समृद्ध भाषा संस्कृत | अंततः वो समझ गए कि अगर भारत को तोड़ना है , आपसी सौहार्द को खंड खंड करना है तो एक ही उपाय है….. कि भारतीयों को उनकी संस्कृति सभ्यता जीवन शैली और धर्मग्रंथों से दूर कर दिया जाए.. यही वो कारण था , चूँकि संस्कृत जो कि समस्त भाषाओँ कि जननी है उसे बड़े ही सुनियोजित षड़यंत्र के तहत हमारे पाठ्यक्रम से लुप्त कर दिया गया | चूँकि हमारे समस्त धार्मिक ग्रन्थ काव्य सभी संस्कृत में ही लिखे गए हैं | तो क्यों ना संस्कृत को ही लुप्त कर दिया जाए…. जब संस्कृत समझ में ही नहीं आएगी तो भारतीय स्वतः पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कृत के प्रति उदासीन होते ही चले जायेंगे | पाश्चात्य सभ्यता इसाई धर्म और अंग्रेजी बोलने की होड़ इस प्रकार जड़ जमा चुकी है कि संस्कृत तो छोडिये हिंदी बोलने पर आपको अशिक्षित समझा जाता है| समाज में ऐसी मानसिकता घर कर चुकी है कि अगर आपने अंग्रेजी को वार्तालाप में शामिल नहीं किया तो आपको समाज और देश के विकास में अवरोध माना जाएगा | यही कारण है कि आज जगह जगह अंगेजी सिखाने के विद्यालय तो चल रहे हैं लेकिन जो हमारी अपनी धरोहर संस्कृत है वो कहीं मृतप्राय अवस्था में नम आँखों से अपने ही देश में अपना घोर अपमान देख रक्तरंजित अश्रु बहा रही है | हमारी संस्था अपनी माता संस्कृत को पुनः अपने घर या यूँ ख लें कि घर घर में वापस लाने का कार्य करेगी | ताकि हिंदुस्तान पुनः अपने गौरवमयी इतिहास को पढ़ समझ सके | पुनः हिंदुस्तान विश्वगुरु बनने के मार्ग पर अग्रसर हो सकें | हम अपना गौरवशाली सम्मान पुनः प्राप्त कर सकें | संस्कृत का अध्ययन पठन पाठन ये हमारे संस्थान की प्रमुख आधारशिला है , इसके साथ साथ और भी कई निम्नलिखित दृष्टिकोण से जनमानस लाभान्वित होंगे

Satish Sharma ( Social Worker ) National Secretary
मैं सतीश शर्मा आज आपको देश हित के लिए कुछ संदेश देना चाहता हूं आज हमारे देश में सनातन संस्कृति और गुरुकुल पद्धति कम होती जा रही है इसका कारण है हम लोगों में कम आत्मविश्वास इसीलिए सबसे विशेष आग्रह करना चाहता हूं अपनी सनातन संस्कृति को ना भूलें जैसे कि गौ सेवा सनातन धर्म का प्रचार प्रसार और सनातन पद्धति को आगे बढ़ाना गुरुकुल पद्धति को आगे बढ़ाना और आपका ध्यान मैं सनातन की ओर अग्रेषित करना चाहता हूं क्योंकि दुनिया में सबसे पहला धर्म सनातन है और कोई धर्म नहीं है इसीलिए हमने कुछ अपने दोस्तों के साथ मिलकर गुरुकुल पद्धति को और सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए वचनबद्ध हुए हैं क्योंकि सनातन एक लाखों साल पुराना धर्म है जबकि और कोई धर्म नहीं बाकी मजहब है और सनातन धर्म यह कहता है कि दुनिया में जितने भी जीव है वह सब मैं भगवान के के बनाए हुए हैं उन सब में भगवान बसते हैं इसीलिए सनातन धर्म में जीव हत्या पाप है सर्वोपरि धर्म है सनातन यह तो रही बात सनातन की आप थोड़ा सा प्रकाश देश के किसानों पर डालते हैं हमारे देश में 70 परसेंट लोगों का भरण पोषण किसानी से होता है लेकिन आज के दौर में किसान बहुत दुखी देखा जा रहा है इसका कारण क्या है इस पर हमने गहन चिंतन किया है और खानपान की चीजों के द्वारा बीमारी बढ़ रही है उसका कारण है यूरिया डाई कीटनाशक दवाई पहले के समय में यह चीज नहीं होती थी इसीलिए सब लोग स्वस्थ हुआ करते थे लेकिन यूरिया और खाद और कीटनाशक दवाइयों ने खाने को जहर बना दिया है इसीलिए हम अपनी पुरानी पद्धति भूल कर बैठे हैं सेहत के लिए सबसे अच्छा खाद है जैविक खाद गाय के गोबर से बना खाद वह एक बहुत अच्छा खाद बन जाता है जिससे यूरिया और डाई की जरूरत नहीं होगी इसीलिए मेरा पूरे देशवासियों से निवेदन है कि यूरिया और डाई का और कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग बंद करें अपने खेत में ज्यादा से ज्यादा गोबर का खाद और जैविक खाद का इस्तेमाल करें 3 साल में मैं यकीन के साथ कह सकता हूं की जो भी किसान जैविक खेती करेगा उसका स्वास्थ्य उससे जो अनाज या सब्जी या खाने पीने की कोई भी वस्तु जहां तक पहुंचेगी वह सब लोग स्वस्थ होंगे हमने सपना देखा है स्वस्थ भारत का स्वच्छ भारत का इसीलिए हमने सनातन कृषि गौ सेवा ट्रस्ट के द्वारा इन सभी बातों पर देश का ध्यान केंद्रित करेगा और देश हित के लिए सबसे पहले आगे कदम बढ़ाने का कार्य करेगा जय हिंद जय भारत गौ माता की जय हो भारत माता की जय हो हमारा एक ही सपना स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत
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